Monday, July 23, 2012

Wednesday, April 25, 2012

बोफोर्स का प्रेत एक बार फिर निकला...

बोफोर्स का प्रेत एक बार फिर निकला और पूरे दिन भारतीय मीडिया को मथता रहा !...अमिताभ बच्चन को बेदाग़ और बेगुनाह बताने वाली तमाम रिपोर्टें खलनायक के रूप में  वी पी सिंह  को याद करतीं रहीं !...पच्चीस साल पहले इस सन्दर्भ में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी की सौम्यता पर   वी पी सिंह की कथित ईमानदार छवि काफी भारी पड़ गई थी ...चारो ओर वी पी सिंह में लोगों को दूसरा गाँधी दिखाई देने लगा था ...इसके लिए भरपूर कोशिश भी की गई थी ...मीडिया इस पुन्य काम में बढ़ चढ़ अपनी पुन्य भूमिका में था !...आज पूरा दिन मीडिया अमिताभ के पच्चीस साल से दर्द और अपमान से सुलगते सीने को ठंडक  देता रहा ...अपने वक्ता-प्रवक्ता से गुनाहगारों के नाम उच्चारित करवाने का प्रयास तो करता रहा ...पर कोई ठोस कारक या कारण इस समय इस खबर के पुर्नप्रसारण का नहीं खोज  पाया...!

Thursday, June 3, 2010

patrakaaritaa kaa cheharaa



पिछले २५-३० सालों ...खासकर १९९० के बाद से ...पत्रकारिता का चेहरा और चरित्र पूरी तरह से बदल चुका है !...यह मुद्दा राय व्यक्त करने का नहीं ...बल्कि यह जानने समझने का है कि...जब कोई नवजात पत्रकार लाखों की फीस अदा कर मीडिया संस्थान से पत्रकारिता की डिग्री लेकर आयेगा तो क्या ...वो सूखा , अकाल और पेयजल संकट की रिपोटिंग करने जाएगा !!...विषय... बहुत ठन्डे ... दिमाग से ...पत्रकारिता के बदलते चरित्र को समझने का है ...यह कह कर मैं कोई ताना नहीं मार रहा ...प्रबंधन और बाज़ार की चाल भी तो समझो ...बदलाव अपरिहार्य है ...मानक तै करो बदलना है ...